Moral Education नैतिक शिक्षा
विषयवस्तु:- " नैतिक शिक्षा और उसकी अवधारणा एवं आवश्यकता। "
नैतिक विज्ञान :- (Moral Science ) नैतिक विज्ञानं वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य नैतिक मूल्यों
(जैसे :-अच्छे गुणों और आदतों का निर्माण, अनंत मूल्यों की प्राप्ति, चरित्र निर्माण, उचित मूल्यों का समावेश आदि)
का संचार करता है।
* हम जिस समाज में रहते है , उस समाज का निर्माण " व्यक्तियों के समूह " से होता है, अतः जैसे व्यक्ति होंगे वैसा ही समाज होगा।
*किसी भी समाज या देश का "विकास या पतन" वहां के नागरिक के नैतिक स्तर और शिक्षा-पद्धति पर निर्भर करता है। अतः, हम यह कह सकते है की "नैतिक शिक्षा वह शिक्षा है " जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति, समाज तथा देश का हित कारक होता है।
* हर समाज में, समाजिक जीवन की रक्षा एवं व्यवस्था हेतु कुछ नियम बनाये जाते हैं, जिसको "नैतिक नियम " तथा उसके पालन करने के भाव को "नैतिकता " कहा जाता है, अतः प्रत्येक सभ्य समाज के लिए नैतिक शिक्षा अनिवार्य विषय हो जाता है।
* वर्तमान समय में , प्रचार विचार-विमर्श तथा विचार-विनियम के नवीनतम प्रभावी साधनों का विकास निरंतर हो रहा है , जो हमारे नैतिक मूल्यों को प्रभावित कर रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि विज्ञान-आधारित विकास को जीवन-शक्ति हमारे नैतिक एवं आध्यात्मिक आधारों से प्राप्त हो।
* नैतिक शिक्षा को समान्यतः शारीरिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, शिष्टाचार अथवा शुद्ध आचार-विचार ,उपयुक्त सामाजिक आचरण तथा नागरिक अधिकार एवं कर्तव्य आदि व्यापक रूप में ग्रहण किया जाता है।
* नैतिक शिक्षा की आवश्यकता मूलतः चरित्र निर्माण, उचित मूल्यों का समावेश, अनंत मूल्यों की प्राप्ति , अच्छे गुणों और आदतों का निर्माण आदि में होती है।
नोट :-
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