Communication Skill कम्युनिकेशन स्किल
विषयवस्तु:- "कम्युनिकेशन स्किल का अर्थ , परिभाषा और महत्व "
* कम्युनिकेशन स्किल अर्थात बातचीत करने का प्रभावशाली हुनर / कला / ढंग।* वर्तमान समय में हमारे सफल जीवन के लिए इस कला का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान है।* अच्छी कम्युनिकेशन स्किल हमारे सफल जीवन का एक गारंटीड मानक है।* चाहे पेशेवर जीवन हो, चाहे व्यतिगत जीवन, हर क्षेत्र में इस कला का जादुई प्रभाव होता है।* इस कला को जीवन के किसी भी उम्र में सिखा या बेहतर बनाया जा सकता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) का अर्थ :-
(Communication) लैटिन भाषा के "Communis " शब्द से बना है। जिसका अर्थ होता है सूचना का
आदान -प्रदान। और (Skill ) का अर्थ होता है तरीका, कला, हुनर, या ढंग। अर्थात किसी व्यक्ति के समक्ष प्रभावी तरीके से बातचीत करने की कला को कम्युनिकेशन स्किल कहा जाता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) का परिभाष :-
सामान्य भाषा में कहें तो ,"बातचीत करने की एक ऐसी कला जो लोगों को प्रभावित और आकर्षित करे। " कम्युनिकेशन स्किल कहलाता है। या फिर दूसरे तरीका से हम यह भी कह सकते है कि "कम्युनिकेशन स्किल" वह विद्या है जो हमे किसी व्यक्ति अथवा व्यतियों के समूहों के बीच अपने विचारों को स्पष्ट एवं प्रभावी रूप में व्यक्त करने में मदद करता है। "
वैसे तो विभिन्न विचारों ने अपने शब्दों में कम्युनिकेशन स्किल को विभिन्न रूप में परिभाषित किया है। जैसे :-
01. न्यूमैन एवं समर के अनुसार " संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के तथ्यों, विचारों तथा भावनाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान है। "
02. विल्वर के अनुसार, " संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा स्रोत से श्रोता तक सन्देश पहुंचता है। आदि-आदि।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) का महत्व :-
आज कस इस प्रतिस्पर्धा वाले समय में तो कम्युनिकेशन स्किल का महत्व हर क्षेत्र में और महत्वपूर्ण हो जाता है। पेशेवर से लेकर व्यक्तिगत जीवन के बीच आने वाली हर क्षेत्रों में। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो चाहे रिस्ता का। चाहे व्यपार का क्षेत्र हो या फिर नौकरी पेशा का। अक्सर देखा जाता है कि कम्युनिकेशन स्किल के अभाव में हम (खासकर हमारे बच्चे) अपने पसंदीदा विषयों में अच्छी जानकारी होते हुए भी उसे सही एवं प्रभावी ढंग से प्रदर्शित नहीं कर पाते है। फलतः जीवन में असफल हो जाते हैं।
कहते है, हम किसी भी क्षेत्र में क्यों न हों अगर हमारा या हमारे बच्चों का कम्युनिकेशन स्किल (बात-चीत करने का तरीका ) सही है तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।
कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होने से हम विषयों को न केवल अच्छे ढंग से जल्दी समझ पाते है बल्कि अपनी बातों को स्पष्ट रूप से औरों को समझा भी पाते हैं। जो हमें दोस्तों,शिक्षकों, परिवारों एवं अन्य सहकर्मियों से अच्छे सम्बन्ध या रिस्ते बनाने में मदद करता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) के प्रकार :-
यह तीन प्रकार के होतें हैं।
01. मौखिक संचार (Verbal Communication ):- मौखिक संचार का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व होता है जिसमें हम एक या एक से अधिक लोगों से बात करके सन्देश का सम्प्रेक्षण करते हैं। अतः हमारा मौखिक संचार बिलकुल सही होना चाहिए।
02. लिखित संचार (Written Communication ):- लिखित संचार का मतलब अपनी बात को लिखित रूप से सम्प्रेक्षण करना। अर्थात लिखने की एक ,ऐसी कला जो लोगों को प्रभावित और आकर्षित कर सके।
03. अमौखिक संचार (Non-Verbal Communication ) :- एक ऐसी संचार माध्यम है जो हम बॉडी लैंग्वेज के द्वारा यानि शरीर के क्रियाकलापों द्वारा अपनी अभिव्यक्ति को सम्प्रेक्षण करते हैं।
बॉडी लैंग्वेज को शारीरिक भाषा भी कहा जाता है। जो हमारे विचारों की अभिव्यक्ति के दरम्यान, हमारे शरीर की विभिन्न्न अंगों जैसे चेहरे, ऑंखें, हाथ, पैर आदि द्वारा अभिव्यक्त मुद्रायें न केवल हमारी बल्कि सामने वाले की पर्सनालिटी और बातचीत की सार्थकता को भी परिभाषित करता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) के साधन :-
कम्युनिकेशन स्किल के मुख्यतः चार साधन हैं।
01. इंट्रापर्सनल कम्युनिकेशन (Intra-personal Communication ):- यानि खुद से बातचीत करने की कला। अपने मन में विचार करना, सोचना, किसी चीज का अंदाजा लगाना आदि। आर्थात सेल्फ कॉन्सेप्ट, धारणा और उम्मीद ये तीन चरण होते है इस साधन के।
02. इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन (Interpersonal Communication) :- यानि दो लोगों के बीच अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान होना इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन कहलाता है।
03. ग्रुप कम्युनिकेशन (Group Communication) :- अर्थात किसी एक टॉपिक / विषय पर किसी समूह यानी ग्रुप के बीच अपने-अपने विचारों की अभिव्यति होती है।
04. मास कम्युनिकेशन (Mass Communication) यह कम्युनिकेशन का एक ऐसा बड़ा रूप होता है जो किसी माध्यम जैसे :- टेलीविजन, रेडिओ, सोशल मीडिया आदि के द्वारा अपने विचारों को असख्य लोगों तक प्रसारित किया जाता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) के अंग :-
कम्युनिकेशन स्किल के छः अंग होते हैं।
01. प्रेषक (Sender) :- वह व्यक्ति जो अपने विचार को दूसरों तक पहुंचाता है।
02. सन्देश (Message) संचार का वह मुख्य विषय जिसको किसी भी माध्यम से सम्प्रेषित किया जाता है।
03. एन्कोडिंग (Encoding) :- संचार भेजने की वह भाषा या लिपि / सांकेतिक चिन्ह जिसमें अपने विचारों को सम्प्रेशित किया जाता है।
04. संचार माध्यम ( Communication Chanel) :- सन्देश भेजने का एक ऐसा माध्यम जिसके द्वारा अपने विचारों को सम्प्रेषित किया जाता है।
05. डिकोडिंग (Decoding) :- यानी प्राप्त किये गए संदेशों के भाव या लिपि / सांकेतिक चिन्ह आदि को समझने की कला डिकोडिंग कहलाता है।
06. प्राप्तकर्ता (Receiver) :- सन्देश प्राप्त करने वाले को प्राप्तकर्ता कहा जाता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) को बेहतर कैसे बनायें :-
कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर बनाने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का अध्ययन करना चाहिए, जैसे :-
01. सरल भाषा का प्रयोग------
सन्देश प्रेषित करने वालों को अपना सन्देश सरल भाषा में प्रेषित करना चाहिए ताकि सन्देश प्राप्तकर्ता को आसानी से समझ में आ सके। तकनिकी और कठिन भाषा से बचाना चाहिए।
02. पक्षपात से बचना चाहिए -----
किसी भी कम्युनिकेशन में श्रोता एवं वक्ता दोनों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए और सन्देश पर खुले और स्पष्ट तरीके से विचार करना चाहिए। केवल खुद के ही विचारों को सही ठहराने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सामने वालों के विचारों को भी महत्व देते हुए उसकी सार्थकता को समझने का प्रयास करना चाहिए।
03. बॉडी लैंग्वेज पर विशेष ध्यान देना ----
कम्युनिकेशन स्किल में अपने बॉडी लैंग्वेज को विशेष महत्व प्रदान करना चाहिए। क्योकि बॉडी लैंग्वेज किसी भी कुमुनिकेशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। बॉडी लैंग्वेज को शारीरिक भाषा भी कहा जाता है। कम्युनिकेशन स्किल के दौरान हमारे कई ऐसे शारीरिक मुद्रायें होती है जो हमारी कम्युनिकेशन स्किल को असरदार बनती है। जैसे:-
* आँखों की गतिविधियां। (नजरों का सम्पर्क बनाकर अर्थात आँख से आँख मिलकर बातें करना, हमारे कम्युनिकेशन को विश्वस्त बनता है। जबकि आँखों की पलकों को ज्यादा झपकना या नजरें चुराना विश्वसनीयता को कम करता है।)
* सर की गतिविधियां। ( सर को सीधा और तना हुआ रखना चाहिए, यह हमारी उत्सुकता को प्रदर्शित करता है। जबकि झुका हुआ सर हमारी उत्सुकता को कम करता है।)
* हाथों की गतिविधियां। ( बैठ कर कम्युनिकेशन करने के दौरान अपने हाथ को घुटनों पर रखना चाहिए, जो हमारी तत्परता को प्रदर्शित करता है जबकि खड़े होकर वार्तालाप करने के दौरान अपने हाथों को पीठ के पीछे बांध कर रखना चाहिए, जो हमारी आत्मविश्वास को दर्शाता है। हाथ को कभी कूल्हों पर नहीं रखना चाहिए यह बेचैनी का प्रतिक माना जाता है।)
* पैरों की गतिविधियां। (कुर्सी पर बैठ कर बातचीत करते समय अपने पैरों को कुर्सी के बांह पर रख कर नहीं बैठना चाहिए और न ही हिलाना चाहिए। यह चिंता और उदासीनता का प्रतिक माना जाता है।) इत्यादि।
04. दूसरों की बातें ध्यान से सुनना----
कहते हैं एक अच्छा वक्ता वही होता है जो एक अच्छा श्रोता भी होता है। कम्युनिकेशन के दौरान दूसरों की बातों को न केवल ध्यान से सुनना चाहिए बल्कि अपने शारीरिक गतिविधियां जैसे (आँखों में उत्सुकता, सर हिला क्र सांकेतिक भाषा का प्रयोग करना, मौखिक संकेतों का प्रयोग ( जैसे:- हाँ, ना, समझा आदि ) का प्रयोग भी करना चाहिए ताकि उसके विचारों को गहराई से समझा जा सके ( इस कौशल से दूसरों को गहराई से समझने, उसको संतुष्टि प्रदान करने और सार्थक बातचीत करने में मदद मिलता है। ) इससे हमारी कम्युनिकेशन स्किल गुणवत्तापूर्ण बनता है। कम्युनिकेशन के दरम्यान वक्ता के बातों को बीच में नहीं काटना चाहिए। इससे वार्तालाप की सार्थकता कम होती है।
05. सामने वाले को समझने का प्रयास करना चाहिए ----
कम्युनिकेशन के दौरान सामने वाले को समझने के लिए उसके बॉडी लैंग्वेज को बारीकी से अधययन करना चहिये और उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सूचना चाहिए। और समझने का प्रयास करना चाहिए की वह उक्त विषय में रूची ले रहा है अथवा नहीं। क्या वह बातों को पलट रहा है, आदि।
06. उचित शब्दों का प्रयोग करना चाहिए -----
बात-चीत के दौरान अनुचित एवं गलत शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। हमेशा अच्छे और आकर्षक शब्दों का प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए। इससे लोग न केवल हमें सुनने में रूची लेते हैं बल्कि आकर्षित भी होते है और वक्ता की एक अच्छी पहचान भी बनती है।
07. प्रतिदिन बातचीत करने का अभ्यास करना चाहिए ----
कम्युनिकेशन स्किल को विकसित करने के लिए प्रतिदिन अपने संवाद को बोलने का अभ्यास करना चाहिए। इससे संवाद को धारा प्रवाह बनाने में मदद मिलता है।
08. प्वाइंट टू प्वाइंट बात करनी चाहिए ----
कम्युनिकेशन के दौरान अपने बात को प्वाइंट टू प्वाइंट यानी एक-एक कर बताना चाहिए। किसी बात को एक ही बार में एक साथ बोलने से सामने वाला कुछ भी समझ नहीं पाता है। इस लिए अपनी बात को एक-एक कर बताना या सुनना चाहिए।
09. आँखों का कांटेक्ट बनाये रखना चाहिए ------
कम्युनिकेशन के दौरान अपनी आँखों का कांटेक्ट बनाये रखना चाहिए जो आपके बातों को विश्वस्त बनाने में मदद करता है। किसी से बात करते समय अपनी नजर को चुराना नहीं चाहिए। ऐसा करने से विश्वास में कमी आती है।
10. कॉन्फिडेंट (आत्मविश्वास) के साथ बातचीत करना चाइये-----
किसी भी कम्युनिकेशन में किसी भी सन्देश को रखने से पहले थोड़ा सोचें की हम जो बोलने जा रहें है उसका प्रभाव कैसा पड़ेगा, फिर अपनी बात रखना चाहिए। इससे बात में सकारत्मकता आता है और हमारे बातों को विश्वस्त बनता है।
11. पूरी बात करनी चाहिए ----
कम्युनिकेशन के दौरान कभी भी अपनी बात को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। अपनी बात को भी पूरी तरह रखनी चाहिए और सामने वाले की बात को भी पूरी बात को सुनना चाहिए। बीच में बातों को काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से यह साबित होता है कि आपको सामने वाले की बात में रूची नहीं है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) में आने वाली बाधाएं :-
कम्युनिकेशन में कई तरह की बाधाएं आ सकती है जो सन्देश के प्रभाव को कमजोर करता है। जैसे:-
01. शारीरिक बाधा :- यह बाधा विचारों को प्रकट करने वाले और विचारों को श्रवण करने वाले दोनों में अथवा दोनों में से किसी एक में हो सकता है। जो कम्युनिकेशन के प्रभाव को कम कर सकता है। जैसे:-
* उच्चारण क्षमता का कमजोर होना ( यानी शुद्ध या साफ उच्चारण की कमी )
* श्रवण क्षमता का कमजोर होना ( यानी साफ या पूरी तरह से सुनाई न देना )
* दृश्य क्षमता का कमजोर होना ( यानी कम दिखाई देना या साफ दिखाई न देना )
02. भाषाई बाधा :- कम्युनिकेशन के दौरान भाषा की बाधाएं भी उतपन्न हो सकती है जिसमे मुख्य कारण हो सकता है :-
* भाषा का अल्प ज्ञान का होना (अर्थात बातचीत में प्रयोग किये गए शब्दों का गलत होना या श्रोता द्वारा उसका गलत अर्थ लगा लेना। )
* दोषपूर्ण अनुवाद का होना ( अर्थात वक्ता द्वारा बातचीत में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों का श्रोता द्वारा उचित अनुवाद न कर पाना )
* तकनीकी भाषा का ज्ञान न होना ( अर्थात बातचीत में प्रयुक्त तकनीकी भाषा का अभाव होना भी कम्युनिकेशन में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) को प्रभावी एवं आकर्षक बनाने के कुछ टिप्स :-
01. कम्युनिकेशन के दौरान अपने विचारों को पूर्ण एवं आवश्यक तथ्यों के साथ धारा प्रवाह तरिके से श्रोता के समक्ष रखना चाहिए।
02. वार्तालाप के दौरान यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हमारी बात कैसे लोगों के साथ हो रही है। किसी बच्चों के साथ हो रही है या किसी विशिष्ट के साथ। इसके अनुसार ही साफ एवं स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
03. वार्तालाप के दौरान हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वार्तालाप छोटा हो और उसमे निरर्थक शब्दों का प्रयोग नहीं हो। केवल प्रासंगिक सामग्री हो और अनावश्यक एक ही बातों की पुनरावृति न हो।
04. कम्युनिकेशन के दौरान श्रोता के भाषा का भी ध्यान रखना चाहिए। ताकि श्रोता को आसानी से हमारी बात समझ में आ जाय।
05. कम्युनिकेशन के दौरान वक्ता को अपने नम्र व्यक्तित्व का प्रदर्शन करने का प्रयास करना चाहिए यदि बातचीत में कोई त्रुटि हो जाय तो तुरंत क्षमा मांगनी चाहिए।
06. कम्युनिकेशन के दरम्यान प्रवक्ता को अपना सन्देश स्पष्ट और वार्तालाप के मुख्य लक्ष्यों को ही व्यक्त करना चाहिए। ताकि श्रोता सन्देश को उसी रूप और भाव में समझ सके।
07. कम्युनिकेशन के दौरान वक्ता को अपने सन्देश में शुद्धता लाने के लिए सही भाषा, विश्वसनीय सन्देश का इस्तेमाल के साथ-साथ सन्देश में शामिल तथ्य, आंकड़े और विवरण भी सही और सत्य होने चाहिए।
08. जहां तक संभव हो सके तो कम्युनिकेशन करने के पहले उसको लिख कर बोलने का अभ्यास करना चाहिए। इससे आत्म विश्वास बढ़ता है।
कम्युनिकेशन स्किल (संचार कौशल ) के लिए कुछ पुस्तकें :-
01. बोलचाल की कला ( रमेश सनवाल)
02. व्यावसायिक संचार ( डॉक्टर के. डी. पाण्डेय)
03. संचार के मूल सिद्धांत (ओमप्रकश सिंह)
04. संचार भाषा हिंदी (सूर्यप्रकाश दीक्षित)
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